गौरी पूजन कब है ? | Gauri Puja 2023 Date Maharashtra

Join whatsapp group Join Now
Join Telegram group Join Now

गौरी पूजन कब है ? गौरी पूजन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा है जो माता पार्वती की पूजा के रूप में की जाती है। इस पूजा को गौरी व्रत भी कहा जाता है और यह भारत के विभिन्न भागों में मनाई जाती है, खासकर उत्तर भारत में।

गौरी पूजन का समय आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दोवा तिथि को मनाया जाता है, जब माता पार्वती को अपने पति भगवान शिव के साथ मिलने की इच्छा होती है। इस पूजा में महिलाएं माता पार्वती की उपासना करती हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

गौरी पूजन कब है ?
गौरी पूजन कब है ?

ज्येष्ठ गौरी आवाहन 2023

गौरी पूजन के दौरान, महिलाएं विशेष रूप से सज-धज कर बैठती हैं और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र की पूजा करती हैं। वे अलंकरण, मेहंदी, वस्त्र, आभूषण आदि के साथ तैयारी करती हैं। इसके बाद, पूजा का प्रसाद तैयार करके माता पार्वती को अर्पण किया जाता है।

गौरी पूजन का मुख्य उद्देश्य माता पार्वती की भक्ति और पति के साथ सुखमय जीवन की प्राप्ति होता है। यह पूजा विशेष रूप से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा की जाती है और उनके पतिव्रता धर्म को मजबूत करने का उद्देश्य रखती है।

गौरी पूजन कब है ? | Gauri Puja 2023 Date Maharashtra

2023 में गौरी पूजन 22 सितंबर को है।

गौरी पूजन को मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है और श्रावण मास के मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां पार्वती की पूजा करती हैं।

राधा अष्टमी का व्रत कैसे करें 2023 | RADHA AHTAMI 2023 IN HINDI

Gauri Puja 2023 Date Maharashtra

2023 में गौरी पूजन 22 सितंबर को है।

गौरी पूजन को मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है और श्रावण मास के मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां पार्वती की पूजा करती हैं।

Gauri Puja 2023 | Gauri Pujan 2023 Ganpati

ज्येष्ठ गौरी पूजन, जो भारतीय हिन्दू पौराणिक परंपरा का हिस्सा है, गौरी पूजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। ज्येष्ठ गौरी पूजन को ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा होती है।

इस पूजा में, महिलाएं माता ज्येष्ठ पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन गौरी की मूर्ति को घर में सजाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। महिलाएं अलंकरण, वस्त्र, आभूषण, आदि की विशेष तैयारी करती हैं और पूजा के बाद पूजा का प्रसाद बाँटती हैं।

गणेश चतुर्थी 2023 का मुहूर्त क्या है? | GANESH CHATURTHI 2023 MUHURAT

“Flipkart Big Billion Days: खुशियों का सौदा या सिर्फ एक धोखाधड़ी?”

Gauri Pujan 2023 Ganpati पूजा केसे करे ?

गणेश चतुर्थी पर गौरी पूजन कैसे करें, निम्नलिखित कदमों के माध्यम से जानिए:

  1. तैयारी और सजावट:
  • पूजा के लिए गौरी की मूर्ति को खरीदें या तैयार करें।
  • गौरी की मूर्ति को सुंदरता से सजाएं, आभूषण पहनाएं, और फूलों से सजावट करें।
  1. पूजा सामग्री:
  • पूजा के लिए सामग्री तैयार करें, जैसे कि दीपक, धूप, अगरबत्ती, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, आदि।
  • पूजा के लिए फल, मिठाई, और नैवेद्य (भोजन) की भी तैयारी करें।
  1. पूजा का आयोजन:
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और आसन तैयार करें।
  • गौरी मूर्ति को स्थापित करें और उसके सामने आसन पर बैठें।
  1. पूजा की विधि:
  • शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा का आरंभ करें।
  • धूप और अगरबत्ती जलाएं, गौरी मूर्ति को कुमकुम और हल्दी से सौंदर्यभूषण दें, और पूजा गीत गाएं।
  • गौरी माता को प्राण प्रतिष्ठापन करने के बाद, उनका पूजन करें और उन्हें नैवेद्य दें।
  • मन, वचन, और क्रिया से गौरी माता की भक्ति करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
  1. आरती और प्रसाद:
  • गौरी माता की आरती उतारें और उन्हें प्रसाद दें।
  • प्रसाद को अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाँटें।
  1. व्रत उपासना:
  • यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो उसे सुखद भावना के साथ पूरा करें।
  • व्रत के दौरान गौरी माता का नाम जाप करें और उनकी कथाएँ सुनें।
  1. समापन:
  • पूजा के बाद, गौरी माता को ध्यान से विदाय दें और उनका समर्पण करें।
  • पूजा सामग्री को उपयुक्त तरीके से संरक्षित करें और पूजा स्थल को साफ करें।

गणेश चतुर्थी पर गौरी पूजन महत्वपूर्ण है और इसे भक्ति और श्रद्धा से मनाने का प्रयास करें। यह एक परिवारिक और धार्मिक महोत्सव होता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य भाग लेते हैं और माता गौरी के आशीर्वाद की कामना करते हैं।

ज्येष्ठ गौरी पूजन का मुख्य उद्देश्य माता ज्येष्ठ पार्वती की भक्ति करना और उनकी कृपा की प्राप्ति करना होता है। यह पूजा विशेष रूप से सुख, सौभाग्य, और परिवार की सुरक्षा के लिए की जाती है। ज्येष्ठ गौरी पूजन को विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं और इसका महत्व उनके जीवन में बड़ा होता है।

Vishwakarma Puja 2023 : विश्वकर्मा पूजा कब है ? | विश्वकर्मा पूजा कैसे करें?

Flipkart Big Billion Days 60000 का मोबाइल 25000 में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

Gauri Pujan 2023 Ganpati को नैवेद्य क्या दिखाएं

गौरी पूजन और गणपति व्रत के दौरान नैवेद्य का तैयारी करना महत्वपूर्ण होता है, और इसमें विभिन्न प्रकार के आहार और व्यंजन शामिल हो सकते हैं, जो स्थानीय परंपराओं और परिवार की पसंद के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ सामान्य नैवेद्य की जानकारी दी जा रही है, लेकिन आप अपनी स्थानीय परंपराओं और परिवार की पसंद के आधार पर उन्हें अनुकूलित कर सकते हैं:

  1. फल: आम, केला, अंगूर, सेब, और अन्य फलों का नैवेद्य तैयार कर सकते हैं।
  2. खीर: विभिन्न प्रकार की खीर जैसे कि चावल की खीर, सूजी की खीर, और खोया की खीर तैयार कर सकते हैं।
  3. स्वीट्स: जलेबी, लड्डू, बर्फी, और गुलाब जामुन जैसी मिठाइयाँ भी नैवेद्य के रूप में प्रदान की जा सकती हैं।
  4. नारियल और द्राक्षाद्विप: पूजा के दौरान नारियल और द्राक्षाद्विप का उपयोग भी किया जा सकता है।
  5. आटे के आहार: पूजा के दौरान आटे के आहार जैसे कि पूरी, चपाती, और परांठे भी तैयार कर सकते हैं।
  6. खिचड़ी: खिचड़ी एक साथ बनी हुई दाल और चावल की डिश होती है जिसे नैवेद्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  7. फूल: कुछ फूलों का नैवेद्य के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  8. फिरनी: फिरनी भी मिठाइयों की एक प्रकार होती है जिसे नैवेद्य के रूप में पेश किया जा सकता है।

नैवेद्य की तैयारी करते समय, स्वच्छता का खास ध्यान देना चाहिए, और यह मान्यता है कि यह पूजा के लिए अधिक शुभ होता है जब आप इसे पूरे मन और भक्ति के साथ तैयार करते हैं। इसके बाद, इसे माता गौरी और गणेश जी को समर्पित करें।

गौरी पूजन का महत्व क्या है ?

गौरी पूजन हिन्दू धर्म में माता पार्वती की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है और इसका महत्व धार्मिक और सामाजिक माध्यमों से सिद्ध होता है। निम्नलिखित कुछ कारण हैं जिनके आधार पर गौरी पूजन का महत्व है:

  1. मातृ शक्ति की प्रतीक: माता पार्वती हिन्दू पौराणिक कथाओं में मातृ शक्ति का प्रतीक हैं। उन्हें शक्ति, साहस, और सौभाग्य की प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, और गौरी पूजन के माध्यम से भक्त उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।
  2. पतिव्रता धर्म की प्रतीति: माता पार्वती अपने पति, भगवान शिव, के साथ अत्यंत पतिव्रता थीं। गौरी पूजन के द्वारा, महिलाएं उनके तरह पतिव्रता धर्म का पालन करने के प्रति प्रतिज्ञा करती हैं और सुखमय जीवन की प्राप्ति के लिए उनके परायण होती हैं।
  3. सौभाग्य और सुख की प्राप्ति: गौरी पूजन का महत्व विशेष रूप से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए होता है। महिलाएं इस पूजा के माध्यम से अपने पतिव्रता धर्म को मजबूत करने का प्रयास करती हैं और अपने परिवार के लिए शुभकामनाएं मांगती हैं।
  4. परिवार की सुरक्षा: गौरी पूजन के माध्यम से परिवार की सुरक्षा की प्राप्ति के लिए भी ब्रता जाता है। यह मांग करने का अवसर होता है कि परिवार के सभी सदस्य सुखमय और सुरक्षित रहें।

इसके अलावा, गौरी पूजन भारतीय समाज में समाजिक समृद्धि, परिवार के महत्व, और मातृत्व की महत्वपूर्ण मुद्दों का प्रतीक भी है। यह एक सामाजिक और धार्मिक समाज में सौभाग्यपूर्ण और सामृद्धिकरण की प्रतीति के रूप में महत्वपूर्ण होता है।

मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री

मंगला गौरी व्रत पूजन के लिए आवश्यक सामग्री की सूची निम्नलिखित है:

  1. मूर्ति या चित्र: गौरी माता की मूर्ति या चित्र, जिस पर ध्यान और पूजा की जाएगी।
  2. पूजा की थाली: पूजा की थाली जिसमें पूजा सामग्री रखी जाएगी, जैसे कि कुमकुम, चावल, दीपक, अगरबत्ती, सुपारी, पान, इलायची, लौंग, धूप, अक्षत (राइस), घी, दूध, फूल, और जल।
  3. फल और नारियल: फल और नारियल का उपयोग अक्षत और अर्चना में किया जाता है।
  4. पूजा कपड़ा: पूजा के कपड़े की जरूरत होती है, जिसे पूजा स्थल पर बिछा जाता है।
  5. धागा और सुटी: धागा और सुटी का उपयोग पूजा के लिए व्रत रखने वाली महिलाओं के अंगों की सजावट के लिए किया जा सकता है।
  6. चौकी या आसन: चौकी या आसन, जिस पर बैठकर पूजा की जा सकती है।
  7. कर्पूर और कपूर दान: कर्पूर की धूप करने के लिए और कपूर का दान करने के लिए उपयोग होता है।
  8. माला: माला का उपयोग मंत्र जपने के लिए किया जा सकता है।
  9. पूजा पुस्तक: पूजा के मंत्रों और विधियों का पालन करने के लिए पूजा पुस्तक की जरूरत होती है।
  10. फूल: मंगला गौरी पूजन में फूलों का उपयोग आरती और पूजा के समय किया जाता है।
  11. पूजा की थाली: पूजा की थाली, जिसमें पूजा सामग्री और मूर्ति रखी जाएगी, का इस्तेमाल किया जाता है।

यह सामग्री मंगला गौरी व्रत पूजन के लिए आवश्यक होती है, लेकिन कुछ स्थानीय परंपराओं और परिवार की रुचि के आधार पर इसमें थोड़ी बदलाव किया जा सकता है।

FAQ : गौरी पूजन कब है ?

गौरी पूजन क्या है?

गौरी पूजन हिन्दू धर्म में माता पार्वती की पूजा का एक महत्वपूर्ण रूप है, जिसका मुख्य उद्देश्य माता पार्वती की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्ति करना होता है। यह पूजा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है और सुख, सौभाग्य, और परिवार की सुरक्षा के लिए की जाती है।

गौरी पूजन कब मनाई जाती है?

गौरी पूजन आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दोवा तिथि को मनाई जाती है।

गौरी पूजन के दौरान क्या कार्यवाही की जाती है?

गौरी पूजन के दौरान, महिलाएं माता पार्वती की मूर्ति या चित्र की पूजा करती हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। वे अलंकरण, मेहंदी, वस्त्र, आभूषण आदि के साथ तैयारी करती हैं और इसके बाद पूजा का प्रसाद तैयार करके माता पार्वती को अर्पण करती हैं।

ज्येष्ठ गौरी पूजन क्या है?

ज्येष्ठ गौरी पूजन, जो ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, एक अन्य रूप है जिसमें महिलाएं माता ज्येष्ठ पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह पूजा वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है।

Click to rate this post!
[Total: 5 Average: 4.8]
Join whatsapp group Join Now
Join Telegram group Join Now

1 thought on “गौरी पूजन कब है ? | Gauri Puja 2023 Date Maharashtra”

Leave a Comment