पोषण अभियान 2025: कुपोषण मुक्त भारत की ओर एक मजबूत कदम
पोषण अभियान 2025 : भारत जैसे विकासशील देश में कुपोषण (Malnutrition) सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। बच्चों और महिलाओं में कुपोषण के कारण न केवल शारीरिक विकास रुकता है बल्कि मानसिक और सामाजिक प्रगति भी बाधित होती है।

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2018 में पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan) की शुरुआत की। इसे “राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission)” भी कहा जाता है। इस अभियान का लक्ष्य है – भारत को कुपोषण से मुक्त बनाना और सभी नागरिकों को संतुलित आहार व सही पोषण उपलब्ध कराना।
पोषण अभियान की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2018 (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस) को राजस्थान के झुंझुनू जिले से पोषण अभियान की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 2022 तक कुपोषण दर को कम करना था, जिसे आगे बढ़ाकर अब 2025 तक लक्षित किया गया है।
पोषण अभियान के प्रमुख लक्ष्य
पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य महिलाओं, बच्चों और किशोरियों में पोषण स्तर को सुधारना है। इसके तहत निम्नलिखित लक्ष्य तय किए गए हैं:
- बाल मृत्यु दर, एनीमिया और कुपोषण को कम करना
- गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग, वेस्टिंग और अंडरवेट दर घटाना
- किशोरियों को संतुलित आहार और पोषण संबंधी जानकारी देना
- ‘कुपोषण मुक्त भारत’ के लक्ष्य की ओर बढ़ना
पोषण अभियान की रणनीति
इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण रणनीतियाँ अपनाई हैं:
- आधुनिक तकनीक का उपयोग – मोबाइल ऐप, सॉफ्टवेयर और डिजिटल टूल्स के जरिए पोषण स्तर की निगरानी।
- आंगनवाड़ी केंद्रों को मज़बूत करना – यहाँ बच्चों और महिलाओं को पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य जांच और पोषण शिक्षा दी जाती है।
- जन-जागरूकता अभियान – गांव-गांव और शहर-शहर में “पोषण माह” और “पोषण पखवाड़ा” के जरिए लोगों को संतुलित आहार का महत्व समझाया जाता है।
- अंतर-मंत्रालयी समन्वय – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, जलशक्ति और ग्रामीण विकास मंत्रालय भी इस अभियान से जुड़े हैं।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) – कई गैर-सरकारी संगठन और निजी संस्थाएँ भी पोषण अभियान में सहयोग कर रही हैं।
पोषण अभियान की उपलब्धियाँ
पोषण अभियान शुरू होने के बाद से भारत में कुपोषण से लड़ाई में कई सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं:
- पोषण माह (सितंबर) का आयोजन हर साल देशभर में किया जाता है।
- POSHAN Tracker App के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं की जानकारी डिजिटल रूप से दर्ज की जाती है।
- आंगनवाड़ी केंद्रों में पौष्टिक भोजन की आपूर्ति बेहतर हुई है।
- स्कूलों में मिड-डे मील योजना को और प्रभावी बनाया गया है।
- जन-जागरूकता बढ़ी है और अब अधिक लोग पोषण, संतुलित आहार और स्वास्थ्यकर जीवनशैली को लेकर जागरूक हुए हैं।
चुनौतियाँ अभी भी बाकी
हालांकि पोषण अभियान से बहुत लाभ हुआ है, लेकिन अभी भी कुछ चुनौतियाँ मौजूद हैं:
- ग्रामीण और दूर-दराज़ क्षेत्रों तक सही पोषण पहुंचाना मुश्किल।
- गरीबी और अशिक्षा के कारण कई परिवारों में पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं।
- सामाजिक कुप्रथाओं और खान-पान से जुड़ी गलत धारणाओं को बदलना कठिन।
- कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों और महिलाओं में पोषण सेवाओं की कमी।
आगे की राह
सरकार ने 2025 तक कुपोषण मुक्त भारत (Malnutrition Free India) का लक्ष्य रखा है। इसके लिए आंगनवाड़ी केंद्रों को और अधिक आधुनिक बनाया जा रहा है। साथ ही, महिलाओं और बच्चों को आयरन, फोलिक एसिड और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की सप्लीमेंट्री दी जा रही है।
निष्कर्ष
पोषण अभियान भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जो न केवल बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगी, बल्कि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सही पोषण से ही स्वस्थ समाज और मजबूत राष्ट्र का निर्माण संभव है।
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